बड़ी खबर पूर्व डीजीपी के एस दृवेदी होंगे भागलपुर से भाजपा के कैंडिडेट
बड़ी खबर पूर्व डीजीपी के एस दृवेदी होंगे भागलपुर से भाजपा के कैंडिडेट
चर्चित बिहार :- पटना-बड़ी खबर आ रही है सूत्रों से मिल रही जानकारी के अनुसार बिहार के पूर्व डीजीपी के एस दृवेदी भाजपा से भागलपुर सीट से चुनाव मैदान में उतर सकते है।जानकारी निकल कर सामने आ रही है की भागलपुर से भाजपा के एस दृवेदी को टिकट देकर मैदान में उतार सकती है जिससे भागलपुर कांग्रेस को बड़ा झटका लग सकता है.अगर सब कुछ ठीक ठाक रहा तो भाजपा भागलपुर में बड़ी दाव खेलकर दृवेदी को चुनाव मैदान में उतार कर कांग्रेस के लिए मुसीबत पैदा कर सकती है।वही शाहनवाज हुसैन एवं अश्विनी चौबे का पत्ता कट सकता है।
शांत छवि,हंसमुख चेहरा हाल की में बिहार के डीजीपी से रिटायर हुए के एस दृवेदी द्विवेदी मूल रूप से उत्तर प्रदेश के रहने वाले हैं.वो साल 1984 बैच के बिहार कैडर के आईपीएस अधिकारी हैं इनका गृह जिला जालौन है.डीजीपी से रिटायर होने के पूर्व वे बिहार के डीजी (ट्रेनिंग) के पद पर तैनात थे.के एस दृवेदी 31 जनवरी 2019 को डीजीपी से रिटायर हुए हैं.
बिहार के डीजीपी के कार्यकाल में के एस दृवेदी ने सभी थानों में लगवाया सीसीटीवी कैमरा
पूर्व डीजीपी के एस दृवेदी को एक मार्च 2018 उन्हें बिहार डीजीपी की जिम्मेवारी सौंपी गयी थी.ग्यारह महीने के कार्यकाल में पुलिस विभाग को कई नये भवन मिले.नया पुलिस मुख्यालय मिला,राजगीर में नया बिहार पुलिस ऐकेडमी मिला.ग्यारह महीनों में 1 हजार से अधिक पुलिस के वाहनों की खरीद की गयी. बिहार पुलिस को 120 डीएसपी मिले,10 हजार सिपाहियों की बहाली हुई, 200 इंस्पेक्टर की पदोन्नति डीएसपी में हुई.सिपाही से लेकर एएसआई तक की पदोन्नति हुई. केएस द्विवेदी ने कहा था की वो अपने कार्यकाल से संतुष्ट हैं.वही उनके कार्यकाल में पहली बार बिहार के सभी थानों में सीसीटीवी कैमरा से लैस किया गया.इनके कार्यकाल में पुलिस विभाग को आधुनिक बनाया गया।
जनवरी 2019 को बिहार के डीजीपी से रिटायर हुए के एस दृवेदी द्विवेदी भागलपुर में एसपी के रूप में अपनी सेवा दे चुके है पर साल 1989 में भागलपुर दंगों में इनका नाम आया और इनकी भूमिका किसी से छिपी नहीं है.उस समय के समाचार पत्रों और मीडिया रिपोर्ट्स की माने तो तस्कालीन तात्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गाँधी ने इन्हें वहां से हटाने का निर्णय किया था.साल 1989 में कांग्रेस के मुख्यमंत्री सत्येंद्र नारायण सिन्हा के कार्यकाल में यह दंगा हुआ था. इस घटना के बाद उन्हें मुख्यमंत्री पद भी छोड़ना पड़ा था.इसके बाद कांग्रेस ने डॉक्टर जगन्नाथ मिश्र को राज्य की बागडोर सौंपी थी.
इस दंगे की जांच के लिए जगन्नाथ सरकार ने जस्टिस रामानंद प्रसाद कमीशन का गठन किया था. लेकिन इसके कुछ ही समय बाद सरकार बदल गई. इसके बाद लालू प्रसाद की सरकार ने इस आयोग को तीन सदस्यीय बना दिया गया.जस्टिस शम्सुल हसन और आरसीपी सिन्हा भी इस आयोग के सदस्य बनाए गए. साल 1995 में अध्यक्ष और सदस्यों द्वारा अलग-अलग रिपोर्ट सरकार को सौंपी थी. इसके बाद मॉनसून सत्र में तत्कालीन मुख्यमंत्री लालू सरकार ने इसे विधान परिषद में पेश भी किया.
के एस दृवेदी के तबादले की खबर सुन भागलपुर वासियों ने समर्थन में निकाला था जुलूस
आपको बता दें कि सरकार ने जब द्विवेदी को बदलने का फैसला किया तब तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी भागलपुर आए.इस बीच तबादले की खबरों के बीच कर्फ्यू के बावजूद भागलपुर के लोगो ने केएस द्विवेदी के समर्थन में जुलूस भी निकाला था और इसी के बाद उनका तबादला रोकना पड़ा.
खास बात ये है कि लालू-राबड़ी की सरकार के दौरान केएस द्विवेदी को कोई अहम जिम्मेदारी नहीं दी गई.साल 1999 में जब केंद्र में अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार थी तो उसी साल फरवरी-मार्च में एक महीने के लिए बिहार में राष्ट्रपति शासन लगाया गया. इस दौरान केएस द्विवेदी को मुजफ्फरपुर जिले के एसपी की अहम जिम्मेदारी सौंपी गई थी.साल 2005 में जब नीतीश कुमार सरकार वापस आई तो भागलपुर दंगों की दोबारा जांच शुरू की गई. 26 फरवरी साल 2006 में जस्टिस एनएन सिंह आयोग का गठन किया.इस आयोग ने 28 अगस्त 2007 को अपनी अंतरिम रिपोर्ट सौंपी.
भागलपुर सम्प्रदायिक दंगो में न्यायिक जांच रिपोर्ट में दृवेदी का नही था नाम
साल 2015 के मॉनसून सत्र के आखिरी दिन 7 अगस्त को नीतीश कुमार की सरकार ने इस एक सदस्यीय भागलपुर सांप्रदायिक दंगा न्यायिक जांच आयोग की रिपोर्ट को सदन में पेश किया. इस रिपोर्ट में 22 मामलों की जांच करते हुए पुलिस अधिकारियों की जवाबदेही तय की गई है. इस मामले में भारतीय पुलिस सेवा के कई अधिकारी शामिल हैं.इस रिपोर्ट में आयोग ने जिन आईपीएस अधिकारियों को दोषी पाया, उनमें भागलपुर जिले के तत्कालीन आला पुलिस अधिकारी वी नारायणन, आरके मिश्रा और शीलवर्द्धन सिंह शामिल हैं.लेकिन इस रिपोर्ट में केएस द्विवेदी का नाम कही नहीं था.इसके बाद नीतीश कुमार ने 2018 को इन्हें बिहार का डीजीपी बनाया।