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ताजपुर, समस्तीपुर से आईपीएल तक: 14 साल के वैभव सूर्यवंशी की संघर्ष से सफलता तक की कहानी

चर्चित बिहार
दिनांक : 30-04-2025

ताजपुर, समस्तीपुर से आईपीएल तक: 14 साल के वैभव सूर्यवंशी की संघर्ष से सफलता तक की कहानी

समस्तीपुर जिले के ताजपुर ब्लॉक के छोटे से गांव मोतीपुर से निकले 14 वर्षीय वैभव सूर्यवंशी ने अपने सपनों को हकीकत में बदलकर इतिहास रच दिया है। राजस्थान रॉयल्स की टीम में शामिल होकर वैभव ने न सिर्फ अपने परिवार बल्कि पूरे बिहार का सिर गर्व से ऊंचा कर दिया है।

यह सफलता सिर्फ एक प्रतिभा की नहीं, बल्कि उस अथक संघर्ष की कहानी है जो हर सुबह 3 बजे शुरू होती थी। मां बेटे के लिए नाश्ता बनाती थीं, पिता दरवाजे पर खड़े इंतजार करते थे। लगभग 100 किलोमीटर दूर पटना के स्टेडियम तक सफर तय होता था। अक्टूबर की ठंड में भी परिवार का हौसला गर्म था। वहां पहुंचकर वैभव घंटों तक बिना थके बल्ला भांजता। भूख और थकान जैसे शब्दों से अनजान यह बच्चा बस एक ही चीज़ जानता था — मेहनत।

यह सिलसिला कई सालों तक यूं ही चलता रहा। एक ऐसे प्रदेश में जहां खिलाड़ियों के लिए बुनियादी सुविधाओं का भी टोटा है, जहां खेल प्रतिभाओं को अपना घर छोड़कर बड़े शहरों का रुख करना पड़ता है, वहां से वैभव का निकलना किसी चमत्कार से कम नहीं है।

इस संघर्ष की कहानी में सबसे बड़ा योगदान है उनके किसान पिता का, जिन्होंने हर सप्ताह करीब 200 किलोमीटर की यात्रा सिर्फ इसलिए की ताकि बेटे का सपना टूटने न पाए। मां का भी वही समर्पण, जो हर दिन बेटे के लिए बिना शिकायत के खड़ी रहतीं, और अपने आंगन में सपनों का पौधा सींचती रहीं।

“होके मायूस न आंगन से उखाड़ो पौधे,
धूप बरसी है तो बारिश भी यहीं पर होगी।”

आज वही पौधा फल देने लगा है। सिर्फ 14 साल की उम्र में आईपीएल में खेलना, दुनिया की सबसे बड़ी क्रिकेट लीग में जगह बनाना, न सिर्फ वैभव के परिवार की जीत है बल्कि बिहार के उस सिस्टम पर एक जोरदार प्रहार भी है जो सालों से खिलाड़ियों की अनदेखी करता रहा है।

ब्रायन लारा के फैन वैभव सूर्यवंशी ने साबित कर दिया है कि अगर नीयत सच्ची हो, मेहनत अथक हो और परिवार का समर्थन अडिग हो, तो कोई भी सपना अधूरा नहीं रह सकता।

वैभव की यह उपलब्धि भविष्य के हजारों खिलाड़ियों के लिए उम्मीद की किरण है।

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