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देश में मजदूर, किसान और छात्र हित की हो रही है लूट: कन्हैया

सुरेन्द्र किशोरी,
चर्चित बिहार बेगूसराय।  देश की स्थिति अराजक हो गई है। संविधान को, आजादी को कुचला बदला जा रहा है। संविधान राम ने नहीं, आजादी की लड़ाई लड़ने वाले, अंग्रेजों से लड़ने वाले वीर सेनानियों ने बनाया था। जिसे यह सरकार बदल रही है। 1926 में बने ट्रेड यूनियन कानून में संशोधन कर उद्योगपतियों के हित में नियम बनाए जा रहे हैं। यह बातें जेएनयू छात्रसंघ के पूर्व अध्यक्ष कन्हैया ने मंगलवार को इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन लिमिटेड बरौनी रिफाइनरी के मुख्य द्वार पर बरौनी तेलशोधक मजदूर यूनियन द्वारा आयोजित धरना सभा को संबोधित करते हुए कही। कन्हैया ने कहा कि नोटबंदी के बाद एक करोड़ लोगों ने रोजगार खोया। लेकिन उनके रोजगार की कोई व्यवस्था नहीं है। पांच लाख इंजीनियर प्रत्येक साल पैदा होते हैं। लेकिन एक लाख को भी रोजगार नहीं मिलता है। सरकार बड़ी-बड़ी कंपनियों को निजी कंपनी के हाथों में देकर, ठेका प्रथा चालू कर, आउटसोर्सिंग का नियम बनाकर मजदूरों विरोधी काम कर रही है। सरकार के गलत नीतियों से नौकरियां खत्म हो रही है। मुट्ठी भर लोग सरकारी संस्थानों का पैसा लूट रहे हैं। मेहनत और श्रम की लूट हो रही है। किसान, मजदूर हित के लिए, बैंक चलाने के लिए सरकार कहती है फंड नहीं है। रेलवे, स्वास्थ्य सबको ठेका पर दिया जा रहा है। लेकिन पूंजीपतियों के तीन लाख 16 हजार 500 करोड रूपया कर्ज माफ किया गया। देश आर्थिक मंदी के दौर से गुजर रहा है। आने वाली पीढ़ी का भविष्य सुनिश्चित सुरक्षित नहीं है। मजदूरों को उचित मजदूरी, सुरक्षा का साधन नहीं मिलता है। देश में मजदूर, किसान, छात्र हित के सवाल उठाने पर कहा जाता है कि राजनीति हो रही है। लेकिन सवर्णों को आरक्षण देने की घोषणा करना राजनीति नहीं तो क्या है। आज समान काम का समान वेतन नहीं मिलता है। न्यूनतम मजदूरी नहीं दिया जा रहा है। सुरक्षा की व्यवस्था नहीं है। ट्रेड यूनियन कानून में छेड़छाड़ नहीं हो इसके लिए सभी मजदूरों को एकताबद्ध होना होगा। ठेका ही नहीं नियमित मजदूरों के साथ भी एफडीआई के नाम पर अत्याचार हो रहा है। बैंकों का विलय हो रहा है। जिससे कर्मचारियों की छंटनी होगी। मेहनत, मजदूरी करने वालों का जीना मुश्किल है। इसके लिए मजबूत, मुकम्मल और एकताबद्ध लड़ाई की जरूरत है। उन्होंने कहा कि किसानों के बाद मजदूरों ने यह लड़ाई शुरू की है। इस संघर्ष से बदलाव का एक नया रास्ता निकलेगा जो देश को नई दिशा देगा। इधर, श्रम कानून एवं आउट सोर्सिंग समेत अन्य मुद्दों को लेकर ट्रेड यूनियन के दो दिवसीय राष्ट्रव्यापी हड़ताल बिहार के मिनी मास्को बेगूसराय में जबरदस्त असर पड़ा है। आशा एवं आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं द्वारा जीरोमाइल में धरना देकर एनएच 28 एवं 31 पर आवागमन पूरी तरह से ठप कर दिया गया है। एलआईसी कार्यालय एवं बैंक में जहां ताले लटके हैं। वहीं सदर अस्पताल में रोगियों का इलाज नहीं हुआ। समाहरणालय, विकास भवन, नगर निगम, परिवहन कार्यालय, आयकर कार्यालय समेत केंद्र एवं राज्य सरकार के सभी कार्यालयों में कामकाज पूरी तरह से ठप रहा तथा कर्मचारी सड़क पर नारेबाजी करते रहे। पदाधिकारियों को भी काम करने से रोका गया। सुबह से ही सभी कार्यालयों, प्रतिष्ठानों के गेट पर धरना देकर कर्मचारियों ने अपने मांग के संबंध में आवाज बुलंद किया। हड़ताल का असर बरौनी रिफाइनरी एवं एनटीपीसी पर भी देखा गया। बरौनी रिफाइनरी में लोडिंग एवं मार्केटिंग समेत सभी ऑपरेशन पूरी तरह से ठप है। मार्केटिंग टर्मिनल में जहां पूरी तरह से सन्नाटा पसरा है। वहीं, मुख्य द्वार पर कर्मचारी यूनियन धरना पर बैठ कर आवाज बुलंद किया है। हालांकि पीआरओ अंकिता श्रीवास्तव ने सभी काम सुचारू रूप से चलने का दावा किया है। एनटीपीसी बरौनी यूनिट में अधिकांश कर्मचारी हड़ताल पर चले गए हैं। जिससे बिजली उत्पादन पर प्रभाव पड़ा है।

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