भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव के फांसी का बदला लेने वाले बैकुण्ठ शुक्ल की शहादत दिवस कल
भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव के फांसी का बदला लेने वाले बैकुण्ठ शुक्ल की शहादत दिवस कल
अंग्रेजों से लोहा लेने और देश को आजादी की लड़ाई में सर्वस्व न्योछावर करने वाले अमर शहीद बैकुंठ शुक्ल 28 वर्ष की उम्र में ही हंसते हंसते फांसी पर झूल गए थे। 88 साल पूर्व 14 मई को गया सेंट्रल जेल में उन्हें फांसी दी गई थी ।
देश प्रेम का जज्बा रखने वाले युवा बैकुंठ शुक्ल ने भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव को मुखबिरी कर फांसी दिलवाने वाले भितरघात गवाह फणीन्द्र नाथ घोष को बेतिया के मीना बाजार में धारदार हथियार से हत्या कर महान क्रांतिकारियों के बलिदान का स्वाभिमानी बदला लिया था।
अपने समय में हंसते-हंसते फाँसी के फंदे को चूमने वाले बैकुंठ शुक्ल भारतीय आन बान शान के प्रतीक थे।जिनके रगों में खून की जगह देश प्रेम की लहर दौड़ती थी।
युवा एकता मंच के तत्वाधान में पिछले 12 बर्षों से लगातार 14 मई को शहादत दिवस मनाया जाता रहा है, इस वर्ष युवा एकता मंच की ओर से शहर के उमेश पार्टी जोन उमेश सिनेमा रोड स्थित हॉल में अमर शहीद वैकुंठ शुक्ला का 89 वाॅ शहादत दिवस समारोह मनाया जाएगा।
बैकुंठ शुक्ला का जन्म वैशाली जिले के जलालपुर गांव में 15 मई 1907 में एक किसान परिवार में हुआ था। गांव के प्रारंभिक शिक्षा पूरी करने के बाद मथुरापुर गांव के प्राथमिक स्कूल में शिक्षक बन गए थे, 1930 के सविनय अवज्ञा आंदोलन में सक्रिय सहयोग दिया और पटना के कैंप जेल गए गांधी समझौता के बाद रिहा हुए।
उसके बाद योगेंद्र शुक्ला के साथ क्रांतिकारी संगठन से जुड़ गए थे उन्हें इस बात का गर्व है देश के लिए मर मिटने से बड़ा कोई काम नहीं है।
फणीन्द्र नाथ नाथ घोष के कत्ल के जुर्म में बैकुंठ शुक्ला को 14 मई 1934 को गया सेंट्रल जेल में फांसी दे दी गई थी, इस दौरान वे वंदे मातरम का उद्घोष करते रहे थे।
लालगंज प्रखंड के जलालपुर, अमर शहीद का गांव है, इस गांव को आजादी के दीवानों का स्तंभ माना जाता है लेकिन शासन, प्रशासन और समाज के उदासीनता के कारण आज तक इस गांव में एक स्मारक भवन भी नहीं बनाया जा सका।
युवा एकता के प्रदेश संयोजक संजीत कुमार चौधरी कहते हैं कि कई बार सरकार से लिखित मांग की गई कि लालगंज रेलवे स्टेशन का नाम अमर शहीद के नाम पर किया जाए। स्टेशन के लिए पूर्व सांसद डाॅ अरुण कुमार एवं पूर्व सांसद डाॅ सीपी ठाकुर अपने संसदीय कार्यकाल में तथा राज्यसभा सांसद विवेक ठाकुर व केंद्रीय मंत्री पशुपति पारस ने भी रेल मंत्री को पत्र लिखकर लालगंज रेलवे स्टेशन का नाम अमर शहीद बैकुंठ शुक्ला के नाम पर करने की मांग की। लेकिन सरकारी उदासीनता के कारण आज तक न ही स्टेशन का नामकरण हो सका और न ही जिला मुख्यालय में प्रतिमा लग सका।
भाजपा युवा नेता सह संस्था के
प्रदेश सह-संयोजक हँसराज भारद्वाज बताते हैं कि भारत माँ को परतंत्रता की बेड़ी से आजाद कराने के लिए हँसते हँसते अपने प्राणों की आहुति देने वाले वीर सपूत ‘क्रांतिवीर बैकुण्ठ शुक्ल’ जी एवं शेरे बिहार योगेंद्र शुक्ल जो कि हिन्दुस्तान रिपब्लिकन ऐसोसिएशन के संस्थापकों में से एक थे। बैकुंठ शुक्ल बिहार के प्रथम क्रांतिकारी थे जिन्हें अल्पायु में फांसी की सजा दी गई। उनको देश के क्षितिज पर लाने का बेड़ा युवा एकता मंच ने उठाया था, जो कि अब फलीभूत होता नजर आ रहा है। आज वैशाली जिला ही नहीं अपितु बिहार के लगभग सभी जिलों में छोटे-बड़े कार्यक्रम कर लोग बैकुंठ शुक्ल जी के शहादत को याद करते हैं एवं उनके सिद्धान्तों पर चलने का प्रयास करते हैं।
पिछले साल भी शहादत दिवस समोराह में संस्था द्वारा सरकार से लालगंज रेलवे स्टेशन का नामकरण बैकुण्ठ शुक्ल जी के नाम पर करने एवं उनके जीवनी को पाठ्यक्रम में जोड़ने जैसे महत्वपूर्ण माँग को रखा गया। जिसपर जमुई के सांसद सह लोजपा(रा) के राष्ट्रीय अध्यक्ष चिराग पासवान ने उपरोक्त मांगो के समर्थन में सरकार से दोनों मांग पूरा करने का आग्रह किया एवं इस कार्य के लिए हरसंभव मदद की बात की।
वहीं दूसरी और मैंने राज्यसभा सांसद सह संसदीय समिति (शिक्षा, युवा एवं खेल मामलों) के अध्यक्ष विवेक ठाकुर के समक्ष बैकुंठ शुक्ल के जीवनी को पाठ्यक्रम में शामिल करने की मांग को रखा था जिसके फलस्वरूप उन्होंने कार्रवाई करते हुए सरकार के विभिन्न शैक्षणिक विभागों को पत्राचार के माध्यम से विषय को प्रमुखता से रखते हुए उन पर आवश्यक कार्रवाई करने का अनुरोध किया। जिस पर विभिन्न विभागों द्वारा पत्राचार के माध्यम से उनके मांगों की स्वीकृति का आश्वासन दिया गया है।
सांसद विवेक ठाकुर ने
‘अमर शहीद बैकुंठ शुक्ल तथा शेरे बिहार योगेंद्र शुक्ल की जीवनी को
एनसीईआरटी के पाठ्यपुस्तक में शामिल करने की मांग करते हुए पत्र भी विभाग को लिखा था।
जिसके जवाब में एनसीईआरटी ने लिखा कि ‘आपके द्वारा भेजे गए पत्र सं. वीटीएमपीएस (आरएस) 25 (क्फ / 2023 दिनांक 18 जनवरी, 2023 में दिया गया उपरोक्त सुझाव सराहनीय है। सामाजिक विज्ञान शिक्षा विभाग आपको अवगत कराना चाहता है कि वर्तमान में पाठ्यचर्या की रूपरेखा पर काम चल रहा
है। पाठ्यचर्या को अंतिम रूप दिए जाने के बाद पाठ्यक्रम व पाठ्यपुस्तकें तैयार की जाएँगी। ऐसा करते समय हम आपके सुझाव को विशेषज्ञ समिति के सामने
रखने का आश्वासन देते हैं।”
इस पुण्य कृत के लिए हम सभी जिला वासियों के तरफ से सांसद विवेक ठाकुर एवं चिराग पासवान जी को कोटि कोटि धन्यवाद करते हैं।