स्वामी हरिनारायणानंद जी का निधन समाज एवं देश के लिए अपूर्णीयक्षति : हंसराज भरद्वाज
स्वामी हरिनारायणानंद जी का निधन समाज एवं देश के लिए अपूर्णीयक्षति : हंसराज भरद्वाज
स्वामी हरिनारायणानंद जी नहीं रहे। बीती रात पटना के एक निजी अस्पताल में उन्होंने अंतिम सांस ली। भारद्वाज फाउंडेशन के सचिव सह भाजयुमो नेता हंसराज भारद्वाज ने बताया कि स्वामी जी भारत साधु समाज के आजीवन महामंत्री रहे। भारत सेवक समाज के राष्ट्रीय अध्यक्ष, बिहार सांस्कृतिक विद्यापीठ एवं नालन्दा के बड़ी मठ और गोकुलपुर मठ के महंथ परम पूज्य स्वामी हरिनारायणानन्द जी का निधन की खबर सुन मर्माहत हूँ| आपका जाना समाज एवं देश के लिए अपूर्णीयक्षति है| बिहार में ब्रह्मर्षि समाज के संगठन और समारोहों में उनकी सक्रिय उपस्थिति रहती थी। जन्म सीवान जिले के केवटलिया गांव में हुआ था। बचपन में ही घर-परिवार छोड़ साधु हो गये थे।
स्वामी हरिनारायणानंद जी आध्यात्मिक जगत में बिहार के गौरव थे। अध्यात्म और समाज सेवा के क्षेत्र में इतना बड़ा व्यक्तित्व पिछले 70 वर्षों में कोई दूसरा नहीं हुआ, जो राष्ट्रीय स्तर पर सम्मानित रहा हो। पंडित नेहरू, गुलजारीलाल नंदा, इन्दिरा गाँधी, डाक्टर श्री कृष्ण सिंह से लेकर बिहार और देश के बड़े बड़े राजनेता, संत, नौकरशाह, न्यायाधीश इनको सम्मान देते थे। जब वे बीमार पड़े तो यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ भी 2018 में उनको देखने पटना आए थे। बिहार के सीएम नीतीश कुमार, लोजपा के वरिष्ट नेता सह जहानाबाद के पूर्व सांसद डॉ अरुण कुमार, भाजपा के पूर्व महामंत्री सुधीर शर्मा इत्यादि ने भी खुद तारा नर्सिंग होम जाकर स्वामीजी का हाल समाचार लिया था। उनके निधन से समाज और धर्मजगत को बड़ी क्षति हुई है।
पटना के राजाबाजार में बिहार सांस्कृतिक विद्यापीठ उनकी समाज और संस्कृत जगत को अनुपम देन है। दिल्ली के चाणक्यपुरी में भी साधु समाज का विशाल भवन उनके प्रयासों से बना। अब उनके मठों और आश्रमों की करोड़ों की संपत्ति पर कुछ लोग गिद्ध दृष्टि लगाये बैठे हैं। समाज को सजग और सतर्क रहना होगा, वरना उनकी विरासत पर संत वेषधारी आपराधिक लोग कब्जा जमा लेंगे।
मैं बचपन से ही अपने पिताजी से आपके द्वारा किए गए कार्यों का वर्णन सुनता आया हूँ और हमेशा दिल में भावना होती थी की आपसे मिलूं| इश्वर में मेरी मांग सुनी और मैं सौभाग्यशाली हूँ की आपसे एक-दो बार नहीं कई बार मिलने का अवसर प्राप्त हुआ| उनके द्वारा प्राप्त पुस्तक एवं उनकी छवि आज भी मैंने संभल के रखा है| उनके द्वारा प्राप्त स्नेह और आशीर्वाद हमेशा नई उर्जा प्रदान करती थी|
जब भी मिला हमेशा प्रेरणादायी, समाज, देश और साधू -संत के प्रति के हितो की रक्षा की बात करते थे| उनके यादास्त का भी जोड़ नहीं था| जब पहली बार मिला तो अपने गाँव का नाम बताते ही, उन्होंने वहां घटित हुए कई दशकों पहले की घटना का जिक्र शुरू कर दिया और मठ मंदिर के बारे में पूछने लगे|
ऐसे विराट व्यक्तित्व के संत का निधन रात में 2 बजे के लगभग में हुआ और उनके पार्थिव शरीर को बिना लोगों के दर्शनार्थ रखे, लोग लेकर नालन्दा चले गए। इसमें बड़ी साजिश की बु आ रही है। उनके ट्रस्ट पर कब्जा करने के लिए पिछले कुछ समय से साजिश चल रही है। मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार जी खुद उनसे जुड़े रहे हैं । उनको ऐसे लोगों पर कार्रवाई करनी चाहिए जिन्होंने उस महान संत के अंतिम दर्शन के लिए भी सांस्कृतिक विद्यापीठ मे पार्थिव शरीर को नहीं रखा । ऐसे महान व्यक्तित्व को भावभीनी श्रद्धांजलि।