चर्चित बिहार
दिनांक : 24-06-2025
बिजली रानी के लिए संजीवनी बने संजय मयूख : एक संवेदनशील राजनेता की मिसाल
बिहार की माटी में कला और संस्कृति की गहरी जड़ें हैं, और इन्हीं जड़ों से निकलीं एक सशक्त लोक कलाकार हैं बिजली रानी। अपनी मधुर आवाज़, लोकगीतों की प्रस्तुति और बिहार की परंपराओं को संजोने वाली कला के लिए जानी जाने वाली बिजली रानी आज बीमारी से जूझ रही हैं। आर्थिक तंगी के कारण इलाज की राह मुश्किल हो चली थी, लेकिन इसी अंधकार में आशा की एक किरण बनकर सामने आए भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता और विधान पार्षद डॉ. संजय प्रकाश मयूख।डॉ. मयूख ने न केवल बिजली रानी की पीड़ा को समझा, बल्कि उसे सार्वजनिक मंच पर उठाते हुए केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत से तुरंत मदद की गुहार लगाई। उनकी इस पहल से सरकार की नींद टूटी और अब बिजली रानी के इलाज के लिए प्रयास तेज़ हो चुके हैं। यह दिखाता है कि जब किसी जनप्रतिनिधि के दिल में जनता के लिए करुणा और संवेदना हो, तो व्यवस्था भी हरकत में आती है।यह कोई पहली बार नहीं है जब डॉ. मयूख ने किसी ज़रूरतमंद पत्रकार या कलाकार के लिए आवाज़ उठाई हो।
इससे पहले भी उन्होंने कई बार संकट में घिरे पत्रकारों और लोक कलाकारों के लिए आर्थिक और संस्थागत सहायता दिलाने में अहम भूमिका निभाई है। उनका यह मानना है कि संस्कृति किसी समाज की आत्मा होती है, और जिनके कंधों पर यह आत्मा जीवित रहती है, उनका ख्याल रखना समाज और शासन दोनों की ज़िम्मेदारी है।संजय मयूख के प्रयासों से बिजली रानी के परिवार में एक नई उम्मीद जगी है। जहाँ एक ओर इलाज की व्यवस्था को लेकर सकारात्मक संकेत मिल रहे हैं,
वहीं दूसरी ओर सामाजिक स्तर पर भी उनके प्रति सहानुभूति और सहायता की लहर देखने को मिल रही है। सोशल मीडिया पर भी लोग इस मुद्दे को समर्थन दे रहे हैं।इस घटना से यह स्पष्ट होता है कि अगर इच्छाशक्ति हो और संवेदनशीलता साथ हो, तो एक जनप्रतिनिधि न केवल नीति निर्माण में बल्कि समाज के अंतिम व्यक्ति तक राहत पहुँचाने में भी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। डॉ. संजय मयूख जैसे नेता राजनीति को मानवीयता से जोड़ने की मिसाल हैं,
और उनके इस प्रयास से न केवल बिजली रानी को सहायता मिलेगी, बल्कि भविष्य में अन्य कलाकारों के लिए भी यह एक सकारात्मक संदेश होगा।बिजली रानी के लिए शुरू हुई यह मुहिम केवल एक कलाकार के इलाज की मांग नहीं है, बल्कि यह हमारी सांस्कृतिक विरासत के संरक्षण का भी एक प्रयास है। डॉ. संजय मयूख जैसे नेता जब समाज के असली नायकों – कलाकारों और पत्रकारों – के साथ खड़े होते हैं, तब सियासत अपने सबसे उज्ज्वल रूप में दिखाई देती है।