काराकाट में चतुष्कोणीय लड़ाई
काराकाट में चतुष्कोणीय लड़ाई
पटना से अनूप नारायण सिंह की रिपोर्ट
पटनाः काराकाट लोकसभा सीट का मुकाबला अब रोचक मोड़ पर पहुंच गया है. अब तय हो गया कि पवन सिंह काराकाट से चुनाव लड़ेंगे. नाम वापसी का शुक्रवार को आखिरी दिन था. पवन सिंह ने अपना नामांकन पत्र वापस नहीं लिया. पवन सिंह के चुनावी मैदान में आने से सबसे ज्यादा परेशानी उपेंद्र कुशवाहा को होने वाली है क्योंकि विशेषज्ञ मानते हैं कि राजपूत वोटर्स पवन सिंह का समर्थन करेंगे. ऐसे में काराकाट का राजनीतिक समीकरण बिगड़ सकता है. पर पवन सिंह के सामने सबसे बड़ी समस्या बहुजन समाज पार्टी को उम्मीदवार धीरज सिंह ने खड़ी कर दी धीरज सिंह भी राजपूत जाति से ही आते हैं तथा स्थानीय क्षेत्र के राजपूत गांव में उनकी पकड़ बहुजन समाज पार्टी के उम्मीदवार हैं तो दलित समाज भी उनके साथ खड़ा है और अल्पसंख्यक समाज भी।
चतुष्कोणीय मुकाबलाः काराकाट लोकसभा क्षेत्र में आखिरी चरण 1 जून को वोटिंग होगी. एनडीए प्रत्याशी उपेंद्र कुशवाहा, इंडिया गठबंधन की तरफ से CPI-ML प्रत्याशी राजाराम सिंह बहुजन समाज पार्टी के धीरज कुमार सिंह और निर्दलीय प्रत्याशी पवन सिंह के बीच कांटे की टक्कर है. शुरू में सीट से एनडीए और महागठबंधन के बीच आमने-सामने की लड़ाई दिख रही थी लेकिन बहुजन समाज पार्टी से धीरज कुमार सिंह तथा पवन सिंह जब से निर्दलीय नामांकन कराया है तब से मुकाबला चतुष्कोणीय हो गया है.
पवन सिंह की मां ने नाम वापस लियाः बता दें कि पवन सिंह ने अपने मां का भी काराकाट से नामांकन कराया था. दरअसल ये नामांकन पवन सिंह ने सेफ्टी के लिए कराया था. अगर किसी कारण से पवन सिंह का नामांकन रद्द होता है तो उनकी मां वहां से चुनाव लड़ेगी लेकिन पवन सिंह का नामांकन वैद्द पाया गया. ऐसे में इनकी मां प्रतिमा देवी ने नामांकन वापस ले लिया है लेकिन पवन सिंह मैदान में डटे हुए हैं.उपेंद्र कुशवाहा की राह मुश्किलः पवन सिंह के चुनाव मैदान में होने से सबसे ज्यादा परेशानी उपेंद्र कुशवाहा को है. और बहुजन समाज पार्टी के धीरज कुमार सिंह के खड़ा होने से पवन सिंह को राजपूत वोट खिसकने का डर है। 2024 के चुनाव में उपेंद्र कुशवाहा को लग रहा था कि एनडीए के प्रत्याशी होने के कारण उनका राह आसान होगा. जातीय समीकरण और मोदी के नाम के नाम पर उनकी जीत हो जाएगी. लेकिन पवन सिंह के चुनाव मैदान में आने से समीकरण उलझ गया. हालांकि बीजेपी की ओर से पवन सिंह को बैठाने का भरपूर प्रत्यास किया गया लेकिन पवन सिंह नहीं माने.वेट एंड वॉच के बाद मैदान में उतरेः पवन सिंह 2014 में भारतीय जनता पार्टी में शामिल हुए थे. 2024 में आरा से चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे थे लेकिन बीजेपी ने आरके सिंह को अपना उम्मीदवार बनाया. पवन सिंह को पश्चिम बंगाल के आसनसोल सीट से शत्रुघ्न सिन्हा के खिलाफ अपना प्रत्याशी बनाया लेकिन पवन सिंह ने चुनाव लड़ने से मना कर दिया. उन्हें लगा था कि बिहार के किसी लोकसभा सीट से उन्हें प्रत्याशी बनाया जाएगा. वेट एंड वॉच के बाद उन्होंने काराकाट से निर्दलीय चुनाव लड़ने का फैसला लिया. पवन सिंह पहले बहुजन समाज पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ना चाहते थे पर बहुजन समाज पार्टी ने राजपूत जाति से ही आने वाले धीरज कुमार सिंह को फिल्म स्टार पवन सिंह की जगह काराकाट के लिए चुना।
वरिष्ठ पत्रकार कन्हैया भेलारी कहते हैं कि काराकाट को अभी तक कुशवाहा का सेफ घर माना जाता था पर इस बार राजपूत निर्णायक भूमिका में है । सबसे बड़ा गेम बहुजन समाज पार्टी ने खेला राजपूत उम्मीदवार उतार कर जो पवन सिंह का भी वोट काट रहे हैं और महा गठबंधन की उम्मीदवार का भी। कुशवाहा अंतिम समय में उपेंद्र कुशवाहा राजाराम सिंह में जो मजबूत होगा उसके पक्ष में होंगे। वही राजपूत फोटो भी दोनों प्रत्याशियों पवन सिंह और धीरज सिंह के बीच बाटे हुए है। सामाजिक कार्यकर्ता प्रिया कुशवाहा कहती हैं कि चुनाव कोई जीते पर सबसे योग्य उम्मीदवार हलफनामी के अनुसार धीरज कुमार सिंह है जिनकी शैक्षणिक योग्यता सबसे ज्यादा है और एक भी आपराधिक मुकदमा इनके खिलाफ दर्ज नहीं है। इरफान आलम कहते हैं इस बार जो कुछ भी होगा चौंकाने वाला होगा और बहुजन समाज पार्टी उम्मीदवार को भी कमजोर नहीं समझा जा सकता है।