विगत 100 वर्षों में चौथी बार पूर्णिमा को बन रहा है दिव्य योग, करोड़ों सूर्य ग्रहण स्नान एवं कुंभ स्नान से भी सर्वोपरि है पूर्णिमा का संगम स्नान स्वामी चिदात्मन जी महाराज ने की संगम तट पर पूजा-अर्चना

0
78

विगत 100 वर्षों में चौथी बार पूर्णिमा को बन रहा है दिव्य योग, करोड़ों सूर्य ग्रहण स्नान एवं कुंभ स्नान से भी सर्वोपरि है पूर्णिमा का संगम स्नान स्वामी चिदात्मन जी महाराज ने की संगम तट पर पूजा-अर्चना

चर्चित बिहार समस्तीपुर (बिथान) भगवती काली, भगवती लक्ष्मी एवं भगवती सरस्वती का साक्षात निवास है बिथान प्रखंड के जगमोहरा पंचायत स्थित संगम तट। उक्त बातें श्री श्री 108 सिद्ध आश्रम कुंभ स्थली सिमरियाधाम के स्वामी चिदात्मनजी महाराज ने कही। मंगलवार को बिथान संगम तट पर कोसी, कमला एवं बागमती के संगम तट पर पूजा अर्चना करते हुए स्वामी जी ने स्पष्ट किया कि भगवती कोसी नदी में माता काली का निवास है, माता कमला में भगवती लक्ष्मी जी का निवास एवं भगवती बागमती में माता सरस्वती जी का निवास है। और इन तीनों पतित पावन नदियों का संगम स्थल होने से बिथान के इस संगम तट पर तीनों ही भगवतियों का मिलन स्थल होने से अखिल ब्रह्मांड का यह पावनतम दिव्य स्थल है। स्वामी जी ने स्पष्ट किया कि विगत 102 वर्षों में चौथी बार भगवती कोसी के तट पर पौष पूर्णिमा के दिन स्नान करने से करोड़ों सूर्य ग्रहण एवं कुंभ स्नान से भी अत्यंत फलदाई स्नान बन रहा है। वहीं एकमात्र भगवती काली स्वरूपिणी पावन कोसी नदी ही नहीं बल्कि भगवती कमला स्वरुपिणी, लक्ष्मी स्वरूपिणी कमला एवं भगवती सरस्वती स्वरूपिणी भागवती पावन नदी का संगम स्थल होने से यह अखिल ब्रह्मांड का पावनतम दिव्य स्थल है जहां पर पौष पूर्णिमा के दिन स्नान से करोड़ों कुंभ के समान महत्वपूर्ण फलदाई स्नान का योग पौष पूर्णिमा के दिन बन रहा है। स्वामी जी ने आगे कहा पौष मास के सूरज को विष्णु भी कहा गया है और पूर्णिमा में चंद्रमा का निवास एवं पौष पूर्णिमा के दिन सोमवार पढ़ने से साक्षात चंद्रमा का योग होने से यह अत्यंत दुर्लभ योग बन गया है जो विगत 20 44 में ही फिर बनेगा। पौष मास में विष्णु सूर्य और चंद्रमा के दुर्लभ संयोग से पौष पूर्णिमा सोमवार के दिन अत्यंत पावनतम योग में स्नान करने के लिए संपूर्ण संसार के लोगों को स्वामी जी ने बिथान संगम तट पर आने का आह्वान किया, ताकि संपूर्ण विश्व के लोग इस महानतम योग का अत्यंत उनिराज फल प्राप्त कर सकें। स्वामी जी ने स्पष्ट किया कि मिथिला की संस्कृति भारत की संस्कृति है और भारत की संस्कृति है विश्व की संस्कृति है। आज पिछला की संस्कृति को जागृत करने की जरूरत है ताकि भारत संपूर्ण विश्व गुरु बन सके और संसार सन्मार्ग पर चल सके। वैदिक मंत्रोच्चार के बीच स्वामी जी ने तीनों पावन नदियों के संगम तट पर पूजा अर्चना करते हुए लोगों को शतायु एवं आप्त काम होने का आशीर्वाद दिया। मौके पर सिद्ध आश्रम सिमारियाधाम के स्वामी चिदानंद जी महाराज, ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय के सीनेटर डॉ विजय कुमार झा, प्रो. अवधेश कुमार झा, प्रधानाध्यापक विश्वनाथ यादव, पंकज कुमार, संतोष कुमार ठाकुर राजेश रोशन, छोटू कुमार, गोपाल कुमार, मुखिया भिखारी सिंह, चंदन कुमार, मुकेश कुमार ,धनेश्वर राय ,केदार सिंह, रामानंद सिंह राम रतन सिंह अंजनी कुमार सिंह रविंद्र सिंह राकेश कुमार सिंह अमरेश कौशल, अर्जुन मुखिया अनिल मुखिया कौशल कुमार पंडित लक्ष्मण कुमार पंडित राम कुमार पंडित अनुपम कुमार सहित सैकड़ों ग्रामीण उपस्थित थे।

0 0 votes
Article Rating
Subscribe
Notify of
guest

0 Comments
Inline Feedbacks
View all comments