पुलिस जवान की विधवा 62 साल से कर रही है पारिवारिक पेंशन का इंतजार

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सुरेन्द्र,
चर्चित बिहार बेगूसराय। किसी भी किसी भी सरकारी सेवक की मृत्यु के बाद उसके आश्रित को तत्काल पारिवारिक पेंशन भुगतान की प्रक्रिया शुरू कर दी जाती है। इसके पीछे सरकार की मंशा रहती है कि मृतक कर्मी के आश्रितों को आर्थिक समस्या का सामना नहीं करना पड़े। लेकिन बेगूसराय में एक पुलिसकर्मी स्व उमाकांत मिश्र की पत्नी पिछले 62 साल से पारिवारिक पेंशन शुरू होने का इंतजार कर रही है। थक हारकर 2017 से उसने आरटीआई एक्टिविस्ट की मदद से कई कागजातों को खंगाला तथा नये सिरे से लगातार आवेदन दे रही है। विधवा नागेश्वरी देवी ने एक बार फिर राष्ट्रपति एवं प्रधानमंत्री को आवेदन भेज कर पारिवारिक पेंशन शुरू करने की गुहार लगाई है। मामला 1946 में मुंगेर जिला पुलिस बल में भर्ती हुए बिहार पुलिस के जवान बरौनी के शोकहारा कलमबाग निवासी उमाकांत मिश्र का है। उमाकांत मिश्रा 1946 में बिहार पुलिस में भर्ती हुए थे। 1956 में इनका तबादला भागलपुर हो गया तथा इसी वर्ष बीमारी के कारण इनकी मृत्यु हो गई। इसके बाद मृतक की विधवा पत्नी पारिवारिक पेंशन शुरू करने के लिए मुंगेर एवं भागलपुर एसपी से लगातार गुहार लगाती रही। लेकिन किसी ने इस पर ध्यान नहीं दिया। नागेश्वरी देवी ने बताया कि 1956 से लगातार पत्राचार एवं कार्यालय का दौड़ लगाते रहे। लेकिन पेंशन शुरू नहीं होने के बाद हारकर कर बैठ गई। मुंगेर एवं भागलपुर एसपी कार्यालय से कहा जाता रहा कि उमाकांत मिश्र के पुलिस बल रहने के संबंध में कोई कागजात उपलब्ध नहीं है। आरटीआई एक्टिविस्ट गिरीश गुप्ता के सहयोग से 2017 में सूचना के अधिकार का सहारा लिया। 14 अक्टूबर 2017 को भागलपुर एसएसपी द्वारा दिए गए आरटीआई के जवाब में स्पष्ट कहा गया है कि संबंधित अभिलेख पुलिस अधीक्षक मुंगेर के पास सुरक्षित है। 1988 में मुंगेर जिला बल से उमाकांत मिश्र के मृत्योपरांत एक सौ रुपया प्रतिमाह की दर से पेंशन देने की व्यवस्था का भी उल्लेख किया गया था। भागलपुर एसएसपी ने पत्रांक 363, 2063 एवं 2471 से इसकी पुष्टि किया गया है। इसी में कहा गया है कि महालेखाकार बिहार के वरीय लेखा पदाधिकारी द्वारा 14 जनवरी 2013 को मुंगेर एसपी से पत्राचार किया गया था तथा मुंगेर जिला बल से ही पेंशन की बात कही गई थी। लेकिन किसी भी पत्र के आधार पर कोई कार्यवाही नहीं हो रही है। विधवा नागेश्वरी देवी ने बताया कि मेरे पति उमाकांत मिश्रा 1946 में बिहार पुलिस के मुंगेर जिला बल में भर्ती हुए थे। 29 मार्च 1956 को उनका स्थानांतरण भागलपुर कर दिया गया तथा कुछ दिनों बाद ही उनकी मृत्यु हो गई। जिसका पूर्ण 1946 से 1956 तक के विवरण जिलादेश पंजी रिकॉर्ड में दर्ज है। मुंगेर से भागलपुर बदलकर जाने के बाद उनके मरने तक विवरण भी उपलब्ध है। लेकिन दर्जनों आवेदन देने के बाद भी मामले पर आज तक कार्रवाई नहीं हो पा रही है। उनका कहना है कि इस संबंध में पुलिस महानिदेशक बिहार के पत्रांक 1585 दिनांक 22 जून 2018, पुलिस महानिरीक्षक के पत्रांक 1871 दिनांक 25 जुलाई 2018, पुलिस उपमहानिरीक्षक कार्यालय मुंगेर के पत्रांक 2355 दिनांक 31 अगस्त 2018 पर भी कोई संज्ञान नहीं लिया गया है। पुलिस उप महानिरीक्षक मुंगेर के जन शिकायत कोषांग द्वारा 16 सितम्बर को जारी पत्रांक 57 एवं 18 नवम्बर 2017 को जारी पत्र भी लंबित है। मेरी उम्र 90 वर्ष से अधिक हो गई है। मैं कहीं आने जाने से लाचार हो चुकी हूं। संबंधित मामले का संपूर्ण अभिलेख, दस्तावेज, अभ्यावेदन मुंगेर एसपी कार्यालय में उपलब्ध है। लेकिन, सैकड़ों बार दिये गये आवेदन एवं आरटीआई पर कार्रवाई नहीं की जा रही है।
इस संबंध में एक बार फिर से आरटीआई सबूतों के साथ मुंगेर एसपी को भेजे गए आवेदन की प्रतिलिपि राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, गृह मंत्री, महिला एवं बाल विकास मंत्री, विधि एवं न्याय मंत्री, कार्मिक लोक शिकायत एवं पेंशन मंत्रालय, बिहार के राज्यपाल, मुख्यमंत्री, गृह सचिव, सामान्य प्रशासन विभाग, पुलिस महानिदेशक, पुलिस मुख्यालय, पुलिस महानिरीक्षक भागलपुर, एसएसपी भागलपुर एवं मुंगेर एसपी कार्यालय के जन शिकायत कोषांग को भेजकर  जीते जी पेंशन शुरू करवाने की गुहार लगाई गई है।

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