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नये साल में कुसहा के कहर की त्रासदी दिखाने आ रही है लव यू दुल्हिन

नये साल में कुसहा के कहर की त्रासदी दिखाने आ रही है लव यू दुल्हिन
सुरेन्द्र,
बेगूसराय।
चर्चित बिहार 2008 में हुए कोशी के कुसहा त्रासदी को लोग भूल चुके हैं। लेकिन लेकिन उस त्रासदी के अंदर की त्रासदी आज भी कायम है। जिसे नए साल में जनता के सामने लेकर आ रही है आई लव यू दुल्हिन। श्री राम जानकी फिल्म्स बेगूसराय के बैनर तले बनी आई लव यू दुल्हिन होली से 20 दिन पहले देश के सिनेमाघरों में रिलीज हो रही है।
मिथिला में बनी फिल्म एक ओर मिथिला के मैथिली पर एकाधिकार को समाप्त करने की कोशिश कर रही है। तो वहीं शराबबंदी, शौचालय आदि पर व्यंग कर सरकार को आईना दिखा रही है। फिल्म में नेताओं के चरित्र, पति-पत्नी के बीच के नखरा, दूसरा विवाह प्रथा, बाढ़ की विभीषिका एवं वेदना को अपने कथा-पटकथा के साथ निदेशक मनोज श्रीपति ने बेहतरीन ढंग से प्रस्तुत किया है।
दो घंटा दस मिनट के इस फिल्म की 70 प्रतिशत शूटिंग बेगूसराय जिला के सिमरिया घाट, बखरी एवं बेगूसराय शहर मुख्यालय के विभिन्न लोकेशन में पूरी की गई है। जबकि 30 प्रतिशत चिल्का झील में शूट किया गया है। संगीतकार धनंजय मिश्रा, गीतकार सुधीर कुमार, विक्की झा, प्रकाश चंद्र एवं मनोज तथा गायिका कल्पना, इंदु सोनाली, विकास, आलोक एवं प्रियंका सिंह ने ‘चुनमुनियां तोहर चुनरी बवाल लागैय छौ’ एवं ‘बदनाम गली की एक कली आई जो शरीफों की बस्ती’ समेत आठ गानों का गजब संयोजन किया है।
लव सांग्स के बाद भी साफ-सुथरा रहने के कारण हाल के दिनों में बनी यह पहली फिल्म है जिसे सेंसर बोर्ड ने यू/ए सर्टिफिकेट देकर सपरिवार देखने की स्वीकृति दिया है। फिल्म की कहानी शादी के नौ वर्ष बाद भी निसंतान दंपत्ति से शुरू होती है। जो डॉक्टरी इलाज के बाद भी संतान सुख से वंचित रहते हैं। सब लोग के दबाव पर भी दोनों का आगाज प्रेम अटूट है। लेकिन मजबूरी बस दूसरी शादी होती है। शादी के बाद पहली रात पहली पत्नी की याद में ही बीत जाता है। दूसरी रात पति पत्नी के मिलन के समय ही कोशी का कुसहा बांध टूट जाता है। लोग भागते हैं गाय छूट जाती है। इधर विलेन चाहता है कि उसके चचेरे भाई को बच्चा ना हो तो जमीन हमारा होगा संपत्ति हमारी होगी। जिसके कारण गाय लेने आए हीरो को विलेन मारपीट कर कोसी की धार में बहा देता है। हल्ला होता है नदी में डूबने की। बाद में दूसरी पत्नी के शादी की तैयारी होती है। वहां भी विलन गोली चलाता है लेकिन इसी बीच इसी बीच गाय के कारण पहला पति भी मिल जाता है। फिर सब साथ रहने लगते हैं। दोनों पत्नी को बच्चा होता है।
दूसरी ओर बाढ़ के समय नेताओं की नौटंकी को भी निदेशक ने बखूबी प्रस्तुत किया है। कुसहा त्रासदी के समय तत्कालीन इस्पात मंत्री विलास पासवान कैंप के दौरा पर आते हैं। लोगों में चर्चा होता है हो महाराज इ मौसम वैज्ञानिक नेता कि देतोअ। मंत्री जी दिनभर कैंपों का विजिट करते हैं और रात में सर्किट हाउस में रुकते हैं। सुबह जब किसी भी अखबारों में खबर नहीं छपती है तो एक भव्य प्रेस वार्ता किया जाता है। जिसमें आई एक महिला पत्रकार को भी मंत्री जी रात में आकर इंटरव्यू करने की बात करते हैं। दूसरे दिन भी मंत्री जी दिन भर राहत कैंपों का दौरा करते हैं और रात में मुजरा के लिए बुलाई जाती है बनारस की हसीना। जहां मंत्री जी सुरा और सुंदरी का भरपूर मजा लेते हैं।
फिल्म के बीच बीच में सरकारी योजनाओं पर प्रहार कर सरकार को आईना दिखाने की कोशिश की गई है। कई जगह लोग कहते हैं घर है नहीं तो शौचालय क्या पहले घर मिले तब शौचालय भी हो। शराबबंदी पर प्रहार करते हुए लोग कहते हैं पहले दुकान में मिलता था अब तो दरोगा बेचता है। श्री राम जानकी फिल्म्स के निदेशक विष्णु पाठक एवं मुख्य कार्यकारी अधिकारी रजनीकांत पाठक कहते हैं फिल्म तो बहुत बना। लेकिन यह फिल्म एक नया संदेश देती है। मैथिली संविधान की भाषा है लेकिन यह मिथिला तक ही सिमट कर रह गई है। इस एकाधिकार को समाप्त करने का प्रयास किया गया है। उद्देश्य है की राष्ट्रीय महोत्सव में शामिल हो।


मंत्री की भूमिका में जदयू जिलाध्यक्ष भूमिपाल राय, पत्रकार की भूमिका में प्रभाकर राय ने गजब की एक्टिंग किया है। वहीं, कैमरामैन अजीत दास ने सुकुमार मणि संकलित कहानी को अभिनेत्री प्रतिभा पांडे एवं अनुश्री के एक्टिंग को लयबद्ध करने में कोई कसर नहीं छोड़ी। फिलहाल फिल्म पूरी तरह तैयार बनकर तैयार है। प्रमोशन का काम जोर-शोर से चल रहा है और बेगूसराय के किरदारों से सजी पहली फिल्म रहने के कारण अभी से ही चर्चा शुरू है।

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