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शानदार शुरुआत के बाद पृथ्वी शॉ को दिखानी होगी मानसिक मजबूती

चर्चित बिहार खेल डेस्क. टेस्ट डेब्यू पर पृथ्वी शॉ का शतक एक ओपनिंग बल्लेबाज के लिए तय सभी पैमानों पर खरा उतरा। इस शतक ने भारतीय क्रिकेट में नई आशा और नई आकांक्षा को भी जन्म दिया। पहली गेंद से ही 18 साल के शॉ ने शानदार खेल दिखाया। उनकी काफी तारीफ हुई और तुलना भी शुरू हो गईं। टीम के मुख्य कोच रवि शास्त्री ने भी शॉ की पारी के बाद एक ट्वीट किया जो क्रिकेट पंडितों सेलेकर फैन तक की भावनाओं को दर्शाता है। उन्होंने लिखा कि शॉ की पारी में उन्हें वीरेंद्र सहवाग और सचिन तेंडुलकर की झलक मिली।

तेंडुलकर से तुलना लाजमी है, क्योंकि शॉ भी मुंबई से आते हैं। वे भी सचिन की तरह छोटे कद के हैं और स्कूली क्रिकेट से ही सुर्खियों में रहे हैं। 2016 में हैरिस शील्ड क्रिकेट में उन्होंने 546 रनों की शानदार पारी खेली थी। सचिन की ही तरह शॉ ने भी रणजी ट्रॉफी और दलीप ट्रॉफी में डेब्यू पर शतक जमाया।

तेंडुलकर की याद दिलाते हैं शॉ: तेंडुलकर और शॉ में केवल आंकड़ों के आधार पर ही दोनों के बीच तुलना नहीं हो रही है। शॉ ने इतनी कम उम्र में जिस तरह का आत्मविश्वास दिखाया वह तुलना का ज्यादा बड़ा आधार रहा। सचिन की ही तरह शॉ को भी देखकर लगता है कि वे क्रिकेटर होने के लिए ही बने हैं। हर पहलू में वे युवा तेंडुलकर की याद दिलाते हैं। राजकोट में उन्हें देखकर लगा ही नहीं कि वे अपना पहला टेस्ट मैच खेल रहे हैं।

सहवाग से भी होती है तुलना: आक्रामक बल्लेबाजी की वजह से शॉ की तुलना सहवाग से भी हो रही है। सहवाग ने अपनी तेज गति की बल्लेबाजी से भारत को कई मैचों में जीत दिलाई थी। शॉ की बल्लेबाजी में कुछ वैसी ही बहादुरी दिखती है। शॉ के बारे में भी कहा गया कि उनकी खामियां जल्द ही उजागर हो जाएंगी और गेंदबाज काट ढूंढ लेंगे। लेकिन, शॉ ने अब तक उसी तरीके से बल्लेबाजी की है जो उन्हें भाता है। ऐसा करते हुए वे सफल भी रहे हैं। इसके लिए उन्हें सचिन का साथ भी मिला है।

सहवाग ने की थी तारीफ: सचिन ने उनसे अपना नेचुरल गेम खेलने और बाकी अन्य सलाह को दरकिनार करने को कहा था। सहवाग की राय भी सचिन से अलग नहीं होगी। शॉ के शतक के बाद सहवाग ने ट्वीट किया कि अभी तो बस शुरुआत है। लड़के में बहुत दम है। इतनी तारीफ और दिग्गजों के साथ तुलना ने शॉ पर यह जिम्मेदारी डाल दी है कि उन्होंने जो उम्मीद जगाई है उस पर खरा उतरें।

गेंदबाज ढूंढेंगे काट: डेब्यू टेस्ट शतक के बाद उम्मीदें काफी बढ़ गई हैं। हालांकि, यह स्वीकार करना होगा कि वेस्टइंडीज से कमजोर आक्रमण मिलना संभव नहीं था। दुनियाभर में गेंदबाज, कप्तान और कोच किसी नए सितारे के सामने आने पर तुरंत सजग हो जाते हैं। सूचनाओं के आदान-प्रदान और वीडियो से तुरंत काट खोजना शुरू हो जाता है। शॉ की बल्लेबाजी का विश्लेषण भी निश्चित रूप से शुरू हो चुका होगा। ऐसे में यह तो महत्वपूर्ण है कि साथी, कप्तान, कोच, परिवार और दोस्त शॉ से कैसे बात करते हैं। इससे भी ज्यादा महत्वपूर्ण है कि खिलाड़ी खुद नई परिस्थितियों के मुताबिक कैसी प्रतिक्रिया देता है।

मानसिक तौर पर मजबूत होना होगा: कई ऐसे उदाहरण हैं जब युवा खिलाड़ी शोहरत, दौलत, अपेक्षाओं का बोझ उठाने में विफल रहा है। महान खिलाड़ियों की खूबी होती है कि वे खेल के प्रति अपने अप्रोच में कभी ढिलाई नहीं बरतते हैं। वे हर दिन कुछ नया सीखने पर जोर देते रहते हैं। युवा शॉ के करिअर को शानदार शुरुआत मिली है। लेकिन, अब उन्हें मानसिक मजबूती के साथ-साथ खुद को अपग्रेड करने की क्षमता दिखानी होगी, ताकि वे खुद को सहवाग और तेंडुलकर जैसा साबित कर सकें।

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