Breaking Newsताज़ा ख़बरबड़ी खबरेंबिहार

आज से नवरात्रि प्रारंभ,प्रथम माता शैलपुत्री के ऐसे करें व्रत व जाने पूजन विधि

चर्चित बिहार दुर्गा-पूजा के पहले दिन मां शैलपुत्री की उपासना का विधान है। शारदीय नवरात्र का प्रारम्भ आश्रि्वन शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि को कलश स्थापना के साथ होता है। कलश को हिन्दु विधानों में मंगलमूर्ति गणेश का स्वरूप माना जाता है अत: सबसे पहले कलश की स्थापना की जाती है।
कलश स्थापना के लिए भूमि को सिक्त यानी शुद्ध किया जाता है। गोबर और गंगा-जल से भूमि को लिपा जाता है। विधि- विधान के अनुसार इस स्थान पर अक्षत डाले जाते हैं तथा कुमकुम मिलाकर डाला जाता है तत्पश्चात इस पर कलश स्थापित किया जाता है

पहले दिन मां शैलपुत्री की होती है पूजा ।

नवरात्रि के पहले दिन मां शैलपुत्री की पूजा की जाती है। मार्कण्डेय पुराण के अनुसार देवी का यह नाम हिमालय के यहां जन्म होने से पड़ा। हिमालय हमारी शक्ति, दृढ़ता, आधार व स्थिरता का प्रतीक है। मां शैलपुत्री को अखंड सौभाग्य का प्रतीक भी माना जाता है। नवरात्रि के प्रथम दिन योगीजन अपनी शक्ति मूलाधार में स्थित करते हैं व योग साधना करते हैं।

पूजा की विधि जाने ।

सबसे पहले चौकी पर माता शैलपुत्री की प्रतिमा या तस्वीर स्थापित करें। इसके बाद गंगा जल या गोमूत्र से शुद्धिकरण करें। चौकी पर चांदी, तांबे या मिट्टी के घड़े में जल भरकर उस पर नारियल रखकर कलश स्थापना करें। उसी चौकी पर श्रीगणेश, वरुण, नवग्रह, षोडश मातृका (16 देवी), सप्त घृत मातृका(सात सिंदूर की बिंदी लगाएं) की स्थापना भी करें। इसके बाद व्रत, पूजन का संकल्प लें और वैदिक एवं सप्तशती मंत्रों द्वारा मां शैलपुत्री सहित समस्त स्थापित देवताओं की षोडशोपचार पूजा करें। इसमें आवाहन, आसन, पाद्य, अ‌र्ध्य, आचमन, स्नान, वस्त्र, सौभाग्य सूत्र, चंदन, रोली, हल्दी, सिंदूर, दुर्वा, बिल्वपत्र, आभूषण, पुष्प-हार, सुगंधित द्रव्य, धूप-दीप, नैवेद्य, फल, पान, दक्षिणा, आरती, प्रदक्षिणा, मंत्र पुष्पांजलि आदि करें। तत्पश्चात प्रसाद वितरण कर पूजन संपन्न करें।

इन मंत्रों माता के साथ करे माता का पूजन

वन्दे वांछित लाभाय चन्द्रा‌र्द्वकृतशेखराम्।

वृषारूढ़ा शूलधरां यशस्विनीम्॥

अर्थात- देवी वृषभ पर विराजित हैं। शैलपुत्री के दाहिने हाथ में त्रिशूल है और बाएं हाथ में कमल पुष्प सुशोभित है। यही नवदुर्गाओं में प्रथम दुर्गा है। नवरात्रि के प्रथम दिन देवी उपासना के अंतर्गत शैलपुत्री का पूजन करना चाहिए।

नवरात्रि का महत्व ।

हमारे जीवन प्रबंधन में दृढ़ता, स्थिरता व आधार का महत्व सर्वप्रथम है। अत: नवरात्रि के पहले दिन हमें अपने स्थायित्व व शक्तिमान होने के लिए माता शैलपुत्री से प्रार्थना करनी चाहिए। शैलपुत्री का आराधना करने से जीवन में स्थिरता आती है। हिमालय की पुत्री होने से यह देवी प्रकृति स्वरूपा भी है। स्त्रियों के लिए उनकी पूजा करना ही श्रेष्ठ और मंगलकारी है।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button