हाइपरलोकल क्लाउड टेक्नोलॉजी बिहार की डिजिटल पहलों जैसे B-SWAN और BAAF को करेगी प्रोत्साहित
हाइपरलोकल क्लाउड टेक्नोलॉजी बिहार की डिजिटल पहलों जैसे B-SWAN और BAAF को करेगी प्रोत्साहित
पटनाः हाइपरलोकल क्लाउड टेक्नोलॉजी बिहार सरकार की कई योजनाओं एवं जी2सी कंटेंट (गवर्नमेन्ट टू सिटिज़न) जैसे बिहार सर्विस प्लस पोर्टल, विद्यावाहिनी ऐप और बिहार स्टेट- वाईड एरिया नेटवर्क (B-SWAN) को प्रोत्साहित करने में सक्षम है। इससे शिक्षा, ई-गवर्नेन्स एवं अन्य नागरिक उन्मुख सेवाओं के क्षेत्र में डिजिटल सेवाओं की डिलीवरी को बढ़ावा मिलेगा।
डिजिटल कंटेंट एवं सेवाओं को सुलभ बनाकर डिजिटलीकरण में तेज़ी लाना और डिजिटल इंडिया अभियान में योगदान देना इसका मुख्य उद्देश्य है। दुनिया के सबसे व्यापक एवं गहन ऐज क्लाउड प्लेटफॉर्म बनाना इसके पीछे मूल दृष्टिकोण है ताकि भविष्य में इंटरनेट की क्षमता का उपयोग कर डिवाइसेज़, लोगों और चीज़ों को ज़्यादा से ज़्यादा कनेक्टेड बनाया जा सके- इस दृष्टिकोण को दूर-दराज के इलाकों में भी साकार करना होगा। रोहित परांजपे, मुख्य कार्यकारी अधिकारी और सह-संस्थापक, शुगरबॉक्स नेटवर्क्स ने बिहार सरकार द्वारा डिजिटलीकरण की दिशा में किए जा रहे प्रयासों की सराहना करते हुए कहा कि आधुनिक तकनीक की मदद से बिहार उल्लेखनीय प्रगति कर सकता है। बिहार सरकार के इन प्रयासों में बिहार क्लाउड और सैक्रेटेरिएट लोकल एरिया नेटवर्क शामिल हैं, जिससे डिजिटलीकरण को प्रोत्साहन मिलेगा।
उनका कहना है, ‘‘विभिन्न सरकारी योजनाओं में ऐज क्लाउड टेक्नोलॉजी के द्वारा डिजिटल कंटेंट को शामिल कर बिहार के सामाजिक-आर्थिक विकास को बढ़ावा दिया जा सकता है। टेक्नोलॉजी की मदद से जी2सी सेवाओं जैसे बिहार सर्विस प्लस, ई-डिस्ट्रिक्ट, मोबाइल सर्विस डिलीवरी गेटवे और B-SWAN को बिहार के दूर-दराज के इलाकों तक भी पहुंचाया जा सकता है जहां कनेक्टिविटी न के बराबर है। इसके अलावा टेक्नोलॉजी की मदद से इन सेवाओं की सुलभता को सहज एवं किफ़ायती भी बनाया जा सकता है।’
साथ ही, ऐज क्लाउड टेक्नोलॉजी में डिजिटल शिक्षा, ई-कॉमर्स एवं ई-पेमेंट जैसी सेवाओं को भी हर कोने तक पहुंचाने की क्षमता है, इस तरह सरकारी एजेन्सियों को डिजिटल अंतराल को दूर करने में मदद मिलेगी।
महामारी से पहले, राज्य ने लगातार तीन वर्षों (वित्तीय वर्ष 2017 से 2020) तक 10 फीसदी विकास दर्ज किया। और यहां तक कि 2020 में भी राज्य ने 2.5 फीसदी की दर से विकास किया- जो राष्ट्रीय औसत की तुलना में बेहतर था। बिहार के नए आर्थिक सर्वेक्षण के मुताबिक, राज्य में इंटरनेट का उपयोग करने वाले यूज़र्स की संख्या में 234 फीसदी बढ़ोतरी हुई है। खासतौर पर ग्रामीण इलाकों की बात करें तो 2015 से 2021 के बीच 338 फीसदी की बढ़़ोतरी दर्ज की गई है। हालांकि टीआरएआई की रिपोर्ट के अनुसार, ग्रामीण क्षेत्रों में इंटरनेट की पहुंच मात्र 22.6 फीसदी है, जबकि शहरी बिहार में यह आंकड़ा 75 फीसदी है।
डिजिटल अंतर के आंकड़े चौंकाने वाले है। ऐसी सेवाओं में डिजिटल सुलभता की कमी है जिन्हें सर्वोच्च न्यायालय मूल अधिकार बताया है। ऐसे में ग्रामीण अर्थव्यवस्था के विकास पर नकारात्मक असर पड़ रहा है।
डिजिटल सेवाओं के सुलभ न होने से विभिन्न क्षेत्रों में ई-सेवाओं का प्रभाव भी सीमित हो जाता है जैसे ई-शिक्षा, ई-कौशल, डिजिटल अर्थव्यवस्था, कृषि, आधार पर निर्भर सेवाएं और विभिन्न रिकॉर्ड्स का डिजिटलीकरण आदि।
सेवाओं को किफ़ायती एवं भरोसेमंद बनाने के लिए सबसे व्यवहारिक समाधान यह है कि हाइपरलोकल क्लाउड टेक्नोलॉजी का उपयोग कर डिजिटल कनेक्टिविटी को बढ़ाया जाए। हाइपरलोकल क्लाउड टेक्नोलॉजी छोटे सर्वर के रूप में डेटा सेंटर डिप्लॉय करती है जिसे यूज़र के यहां इन्स्टॉल किया जा सकता है। इससे विभिन्न आर्थिक वर्गों के लोग मौजूदा बैण्डविड्थ पर किफ़ायती डिजिटल सेवाओं का लाभ उठा सकते हैं।
विभिन्न प्रकार की डिजिटल जानकारी और सेवाएं विभिन्न स्थानों पर अंतिम उपयोगकर्ता को उपलब्ध कराई जा सकती हैं जैसे ग्राम पंचायत, सीएससी, सरकारी स्कूल आदि। ये तकनीकी समाधान पूरे नेटवर्क या बेण्डविड्थ का उपयोग करने के बजाए स्थानीय रूप से लगाए गए सर्वर से डिजिटल कंटेंट एवं सेवाओं को डिलीवर कर डिजिटल ढांचें की क्षमता को और अधिक बढ़ाते हैं।
इसके अलावा, यह टेक्नोलॉजी ऐसे क्षेत्रों में भी बिहार सरकार द्वारा जानकारी एवं सेवाओं की डिलीवरी को सुनिश्चित करती है जहां इंटरनेट सेवाएं उपलब्ध नहीं हैं। यह टेक्नोलॉजी ग्रामीण प्रशासन पहलों पर भी सकारात्मक प्रभाव उत्पन्न करती है से सर्विस प्लस बिहार, स्थानीय उद्यमियों का सशक्तीकरण और क्षेत्र के स्थानीय लोगों को इन सेवाओं से लाभान्वित करना। बिहार के लोगों के लिए ऐज क्लाउड टेक्नोलॉजी सार्वजनिक कल्याण सेवाओं एवं जानकारी सुलभता में बड़ा बदलाव ला सकती है। वास्तव में यह राज्य में सभी के लिए फायदेमंद होगा।