एक अनूठे राजनेता : जो विरासत नहीं, मेहनत की मिसाल हैं –
डॉ. संजय प्रकाश मयूख
राजनीति की दुनिया में यह आम धारणा बन चुकी है कि ऊँचाई तक वही लोग पहुँचते हैं जिनकी कोई राजनीतिक विरासत होती है, या फिर जिन्हें किसी गॉडफादर का आशीर्वाद प्राप्त होता है। लेकिन बिहार के छपरा जिले के अमनौर जैसे छोटे से कस्बे से निकलकर देश की राजनीति में अपना एक अलग मुकाम बनाने वाले डॉ. संजय प्रकाश मयूख ने इन तमाम धारणाओं को पूरी तरह गलत साबित कर दिखाया है।डॉ. मयूख का जन्म एक साधारण परिवार में हुआ, लेकिन उनके सपने और समर्पण किसी भी बड़े राजनेता से कम नहीं थे। दो दशक से भी अधिक समय पहले उन्होंने एक साधारण कार्यकर्ता के रूप में भारतीय जनता पार्टी से अपनी राजनीतिक यात्रा शुरू की थी। आज वे न केवल बिहार विधान परिषद के लगातार दूसरी बार निर्वाचित सदस्य हैं, बल्कि भाजपा के राष्ट्रीय सह-प्रवक्ता के रूप में पार्टी की विचारधारा को पूरे देश में प्रस्तुत कर रहे हैं।डॉ. मयूख एक कुशल वक्ता ही नहीं, बल्कि एक संवेदनशील लेखक भी हैं।
वर्षों तक उन्होंने कई राष्ट्रीय अखबारों के लिए लेखन किया, और जमीनी मुद्दों को अपनी लेखनी के माध्यम से आवाज दी। राजनीति में सक्रिय रहने के साथ-साथ उन्होंने मीडिया और जनसंपर्क के क्षेत्र में भी बिहार भाजपा को मजबूती दी, जहाँ वे लंबे समय तक मीडिया प्रभारी भी रहे।राजनीति में जब तमाम लोग दिखावे और सुरक्षा घेरे में रहते हैं, तब डॉ. मयूख एक ऐसी मिसाल हैं जो अब भी पटना की सड़कों पर आम आदमी की तरह बिना किसी गार्ड के पैदल चलते या किसी दोस्त की बाइक के पीछे बैठे नजर आ जाते हैं। ना कोई तामझाम, ना दिखावा — यही उनकी सबसे बड़ी ताकत है।
उनके पुराने मित्र, सहयोगी और परिचित आज भी उन्हें उसी आत्मीयता से पाते हैं जैसे पहले।यह कहना अतिशयोक्ति नहीं होगी कि डॉ. मयूख का सम्मान सिर्फ भाजपा में ही नहीं, बल्कि अन्य राजनीतिक दलों में भी है। चाहे किसी भी विचारधारा से जुड़ा व्यक्ति हो, डॉ. मयूख की सरलता और समझदारी के कायल हर जगह मिल जाएंगे। वे हर मुद्दे पर जानकारी रखते हैं और संवाद के लिए हमेशा तैयार रहते हैं।डॉ. संजय प्रकाश मयूख उन चंद नेताओं में से हैं जो बताते हैं कि राजनीति सिर्फ कुर्सी का खेल नहीं, बल्कि सेवा, सादगी और सिद्धांतों का समर्पण भी हो सकता है।
अनूप नारायण सिंह