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3.56 लाख नियोजित शिक्षकों के मामले में 19 सितंबर को सुप्रीम कोर्ट में होगी सुनवाई

चर्चित बिहार पटना. 3.56 लाख नियोजित शिक्षकों को समान काम समान वेतन मामले की सुनवाई 19 सितंबर को होगी। शनिवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के लिए तारीख तय कर दी गई है। कोर्ट नंबर 11 में पहले नंबर पर इस केस की सुनवाई जस्टिस एएम सप्रे और जस्टिस यूयू ललित करेंगे।

इसके पहले सुप्रीम कोर्ट में 6 सितंबर को 19 वें दिन की सुनवाई हुई थी। 11 सितंबर को सुनवाई की तारीख दी गई थी, बाद में टल गई थी।

सरकार ने कहा-समान वेतन देने की आर्थिक स्थिति नहीं
केंद्र और राज्य सरकार की ओर से लगतार कोर्ट में दलील दी जा रही है कि नियोजित शिक्षकों को समान वेतन देने की आर्थिक क्षमता नहीं है। वैसे बिहार सरकार ने इन शिक्षकों के वेतन में 20 प्रतिशत तक वृद्धि का प्रस्ताव दिया है।

हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से पूछा है कि एक ही स्कूल में पढ़ाने वाले एक शिक्षक को 70 हजार और एक को 26 हजार क्यों दिया जा रहा है? कोर्ट ने यह भी टिप्पणी की है कि शिक्षकों को 26 हजार और वहां के चपरासी को 36 हजार वेतन मिल रहा है।

सरकार का तर्क-नियोजन इकाइयों के माध्यम से बहाल हुए शिक्षक
अब तक सुप्रीम कोर्ट में विभिन्न शिक्षक संघों की ओर से वरिष्ठ वकील सलमान खुर्शीद, कपिल सिब्बल, राणा रणजीत सिंह सहित कई वकीलों ने शिक्षकों को समान वेतन देने के लिए तर्क दिया है। इन वकीलों ने केंद्र और राज्य सरकार को कठघरे में खड़ा करने की कोशिश की थी।

केंद्र की ओर से अटार्नी जनरल और राज्य सरकार के वकील ने तर्क दिया है कि पंचायती राज के माध्यम से विभिन्न नियोजन इकाइयों के माध्यम से शिक्षकों का नियोजन किया गया था। चार हजार रुपए प्रतिमाह की दर से रखे गए शिक्षकों का वेतन 11 साल में सात गुना बढ़ कर 25 से 30 हजार रुपए तक हो गए हैं। सरकार ने कहा कि अगले 5 साल में शिक्षकों का वेतन 40 हजार रुपए प्रतिमाह सरकार कर देगी।

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