सृजन घोटाले की राशि से खरीदी कीमती जमीन व बनवाए मकान
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पटना. वर्ष 2003 से 2014 के बीच हुए 800 करोड़ से अधिक के सृजन घोटाले की काली कमाई से कई लोग धनवान बन गए। इसमें सरकारी अफसर व कर्मचारी से लेकर एनजीओ से जुड़े चेहरे तक शामिल हैं। सरकारी खजाने की राशि डकारी और अपने लिए चल-अचल संपत्ति अर्जित की। शहर से गांव तक कीमती जमीन खरीदे या आलीशान घर बनवाया। रियल एस्टेट से लेकर बिजनेस व वित्तीय संस्थानों तक घोटाले की राशि निवेश किए गए। सृजन घोटाले में हुए मनी लाउंड्रिंग की जांच में लगी ईडी (प्रवर्तन निदेशालय) को इस बाबत अहम सुराग मिले हैं।
यह बात भी सामने आई है कि कई आरोपियों ने अपने साथ ही परिजनों के नाम पर भी संपत्ति खरीदी है। संबंधित आरोपियों से जुड़े बैंक खाते, जमीन-जायदाद, गाड़ी-जेवर समेत तमाम चल-अचल संपत्तियों के अलावा उनके आर्थिक स्रोत की जांच की जा रही है। खासकर बीते एक से डेढ़ दशक में अर्जित संपत्ति के बारे में पता लगाया जा रहा है। आने वाले दिनों में आरोपियों के साथ लेन-देन करने वाले भी जांच के घेरे में आएंगे। करीब दो महीने पहले ईडी की पटना यूनिट में सृजन घोटाले में हुए मनी लाउंड्रिंग के आरोपों के तहत मामला (ईसीआईआर) दर्ज किया गया था।
एनजीओ के खाते में ट्रांसफर होती रही सरकारी राशि
सरकारी अफसर व कर्मियों और एनजीओ की मिलीभगत से खास तरीका अपनाते हुए घोटाले को अंजाम दिया गया था। इस कड़ी में जिला प्रशासन के विभिन्न विभागों व योजनाओं से जुड़ी राशि सरकारी खाते से अवैध तरीके से ‘सृजन’ नामक एनजीओ के खाते में ट्रांसफर होते रही। साल-दर-साल जालसाजी का सिलसिला आगे बढ़ते रहा पर किसी को शक नहीं हुआ। हालांकि, एनजीओ की संचालिका मनोरमा देवी की मौत के बाद जब कैश को लेकर बैंक व अन्य स्तरों पर समस्या हुई तो घोटाले की पोल खुली। मनोरमा देवी जब तक जीवित थी, तब तक बैंक से चेक के जरिए कैश मिलते रहा। उसके मरने के बाद चेक बाउंस होने लगे। एनजीओ से संबंधित एकाउंट डिसऑर्डर होने पर हंगामा खड़ा हो गया। आखिरकार एक दशक से अधिक समय हो रहे घोटाले से जुड़े संगीन करतूत की पोल परत-दर-परत खुलने लगी।
सीबीआई दर्ज कर चुकी है कुल 23 एफआईआर
सृजन घोटाले की जांच में दो एजेंसियां सीबीआई और ईडी लगी हुई है। करीब 12 महीनों में सीबीआई कुल 23 एफआईआर दर्ज कर चुकी है। एक आरोपी नाजिर महेश मंडल (जिला कल्याण कार्यालय, भागलपुर) की मृत्यु हो चुकी है। अगस्त, 2017 में घोटाले का पता चलने के बाद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के निर्देश पर ईओयू व वित्त विभाग के आला अफसरों की टीम को विमान से जांच के लिए भागलपुर भेजा गया था। आरंभिक तहकीकात के बाद घोटाले की व्यापकता को देखते हुए इस मामले को जांच के लिए सीबीआई को सौंप दिया गया था।
घेरे में कई, अवैध संपत्ति होगी जब्त
जांच के घेरे में बांका जिले की तत्कालीन जिला भूअर्जन पदाधिकारी (बांका) जयश्री ठाकुर, भागलपुर के तत्कालीन जिला कल्याण पदाधिकारी अरुण कुमार, सृजन की सचिव रजनी प्रिया समेत सभी पदधारक, कई बैंक अफसर व अन्य आरोपियों के नाम शामिल हैं। जांच में सबूत मिलने पर प्रिवेंशन ऑफ मनी लाउंड्रिंग एक्ट (पीएमएलए) के तहत आरोपियों की अवैध संपत्ति को जब्त किया जाएगा।